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लेखनी कहानी -01-Dec-2024

कवि की अभिलाषा 


लिख जाऊॅं  कुछ लेख लेखनी से अपने मैं 

कर  पाऊं सब  पूर्ण  लोकहित के सपने मैं

कर जाऊॅं इतिहास अमर अपनें अपनों का 

शोषण हो ना कभी  शोषितों के सपनों का 

भूले  भटके  राही  को  पथ  मैं   दिखलाऊॅं 

होऊॅं  कवि हर बार,जन्म जब जब मैं पाऊॅं।  


कर  जाऊॅं  उपकार  बने  जितना  हो  पाए

करता  जाऊं  कर्म  राह  मिलता  जो  जाए

न  करूॅं कभी  मैं क्रोध लोभ न मन में आए

प्रेम  नेह  का  मेघ  बरसता  मुझ  पर  छाए  

दूर  अंधेरा  कर  मन  को  रोशन  कर जाऊॅं

होऊॅं  कवि  हर बार,जन्म जब जब मैं पाऊॅं।  


दुख  को  दुख मैं पीर गैर का अपना समझूॅं 

मर्यादा  सम्मान   सदा   सबका   मैं  समझूॅं 

नेकी   का   आगाज   उठे  कलमों  से  मेरे 

कह  जाए  कुछ  भाव  लेखनी सुबह सवेरे 

राष्ट्र हेतु हित कार्य,भला जन का कर जाऊॅं

होऊं कवि हर बार,जन्म जब जब मैं पाऊॅं।  


अमर  लिखूॅं  इतिहास वीर भक्तों के अपने 

किया शीश बलिदान देश को हंसते जिसने 

नमन लिखूॅं सत्कार देश के हर जन जन का 

शान्ति और सौहार्द प्रेम सबके तन -मन का 

गौरव  गरिमा  गान  गीत का लिखता जाऊॅं 

होऊं कवि हर बार ,जन्म जब जब मैं पाऊॅं।  


          रचनाकार 

     रामबृक्ष बहादुरपुरी 

अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश 



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4 Comments

Anjali korde

23-Jan-2025 06:05 AM

👌👌👌

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RISHITA

20-Jan-2025 05:40 AM

👌👌👌👌

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Arti khamborkar

19-Dec-2024 03:39 PM

amazing

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